Monday 31 May 2021

चंद शेर

 कौन कहता है , शहरों में बहार नहीं आती 

आती तो है, उस पर किसी की नज़र नहीं जाती 

गाड़ियों में बैठ कर भागती है जिन्दगी 

चाह  कर भी खुद को रोक नहीं पाती ।

*****


ये तो कम होता है कि आईने में

बस अपना अक्स नज़र आता है

जब झाँकते हैं

एक नया शक्स नज़र आता है ।


*****

अब तो वो भी लगते हैं
पराए से
हम कभी जिनके
हम-साए थे I

*****
वो शक्स आज क्यों मुझे
बुझा -बुझा सा लगा
जो झांक रहा था मेरी ओर
आईने के उस तरफ से I

*****
आईने से झांक कर
मेरा अक्स बोला मुझसे
कितना वक्त गुजर गया
मुझको मिले तुझ से I

*****

मैंने तो चाहा था तुमको
खुदा से ज़्यादा
शायद मांग लिया मैंने
अपनी वफ़ा से ज़्यादा I

*****

मेरे दिल की कुछ बातें
दिल ही में दफ़न हो जाएंगी
तुम बातें चार सुना देना
वो मेरा कफ़न हो जाएंगी I

*****

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