Friday 28 August 2020

क्या कभी

क्या कभी

तुम मेरी 

सुबह का हिस्सा 

बन पाओगे


जल्दी जल्दी में

मेरे अदना से

सवाल सुन पाओगे 


वो चाय की 

चुस्कियों के 

बीच की खमोशियां-

उनमें छुपी 

हज़ार बातों में 

अपनी आवाज़ 

मिलाओगे?


क्या कभी

तुम मेरी 

सुबह का हिस्सा 

बन पाओगे

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सुबह तो बहुत

व्यस्त होती हैं


शामों के बारे में सोचना

थक कर लौटते हो जब

घर के बारे में सोचना

घर की सारी बातें

बेमानी नहीं होती

सच है ये बातें

रूमानी नहीं होती

फिर भी होती हैं 

जिंदगी का अहम हिस्सा


क्या कभी 

तुम मेरी 

घर की बातों का

हिस्सा बन पाओगे


क्या कभी

 तुम मेरी

जिंदगी का 

हिस्सा बन पाओगे?

क्या कभी ? 


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