Tuesday 30 April 2024

क्या तुम

 क्या तुम कभी मेरी 

सुबह का हिस्सा बन पाओगे 


जल्दी- जल्दी तैयार होते 

मेरे अदना सवाल सुन पाओगे 


वो चाय की चुस्कियों के बीच की खामोशियाँ 

उनमें छिपी हज़ार बातों में अपनी आवाज़ मिलाओगे 


 क्या तुम कभी मेरी 

सुबह का हिस्सा बन पाओगे ?


चलो, सुबह तो व्यस्त होती हैं 

शामों के बारे में सोचना 


थक कर लौटते हो जब 

घर के बारे में सोचना 


घर की सारी बातें बेमानी नहीं होती 

सच है, ये बातें रूमानी नहीं होती 

फिर भी होती हैं  जिन्दगी का अहम् हिस्सा


क्या कभी तुम मेरी घरेलु बातें सुन पाओगे ?


क्या कभी तुम मेरी जिन्दगी का हिस्सा बन पाओगे ?


क्या कभी?




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