Thursday 27 May 2021

बरसाती नदी

आज नदी बहुत जल्दी में थी

कल रात की बारिश में 

बहा लायी थी पहाड़ों से

पत्थर , मिट्टी, कंकड़, 

पेड़ और उनकी टहनियाँ


जो बहते जा रहे थे

अटक-अटक कर

 

यूँ अटकलें लगाती

अठखेलियाँ करती

नदी कुछ ज्यादा

 चंचल हो कर 

बह निकली 


ढलानों पर शोर मचा कर 

चौकन्ना करती सबको


बातें करती साथ उड़ती चिड़ियों से 

जैसे कह रही हो -

आज जल्दी में हूँ, 

जो साथ बह रहा है 

उसे पार पहुँचाना है 


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