Tuesday 22 February 2022

हार

 हार कर निशब्द हो जाना

ये तो जीत की राह नहीं 

चलते हुए गिरना 

गिर कर उठना

ऐसी ही जीवन की चाल सही

हार कर निशब्द हो जाना

ये तो जीत की राह नहीं I


अजीब सा है मनुष्य जीवन 

मन में सपने , सपनों में मन

भाग्य से लड़कर  

हर सपना, जल्दी पूरा करने की इच्छा 

हर इच्छा, पूरी करने का सपना  


कभी जीत कर ,कभी हार कर

रोटी , कपड़ा , मकान जुटाकर 

कभी अपनों से उम्मीद भुलाकर 

पथ पर बढ़ना-

पथ छोड़ना व्यवहार नहीं 

हार कर निशब्द हो जाना

ये तो जीत की राह नहीं I


कृष्ण को आदर्श बना 

समभाव से जीयें जीवन को 

कर्म करें फल की इच्छा छोड़कर 

कर्म को ही छोड़ना-

ये तो कोई बात नहीं 

हार कर निशब्द हो जाना

ये तो जीत की राह नहीं I


लड़ते हुए जीयें ,

जीते हुए लड़ें ,

मृत्यु को जीवन भेंट कर देना -

ये तो विधाता का मान नहीं 

हार कर निशब्द हो जाना

ये तो जीत की राह नहीं I


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